आत्म ज्ञान बिना सब कर्म निरर्थक" - महात्मा अंबालिका बाईजी


मानव उत्थान सेवा समिति संस्थापक सदगुरुदेव श्री सतपाल जी महाराज द्वारा श्री हंस विजय नगर आश्रम एवरशाइन सिटी वसई पूर्व में 2 नवंबर को 125 वीं हंस जयंती बड़े ही धूम धाम से मनाई गई। इस अवसर पर मुंबई से संत समाज एवं भक्त गण एवरशाइन के वसई आश्रम पहुंचे। इसी अवसर पर पूज्य अंबालिका बाई जी ने भक्त समाज को श्री हंस जी महाराज के जीवन यात्रा एवं उनका संदेश भक्तों को दिया और कहा कि जैसे श्री कृष्णा जी ने गीता में अर्जुन को समझाते हुए कहा है कि आत्म ज्ञान बिना सब कर्म निरर्थक है जब तक आप आत्म-ज्ञान प्राप्त नहीं करते, कर्म के बंधन से मुक्त नहीं होते, तब तक आपके कर्म व्यर्थ हैं। आत्म ज्ञान से ही कर्म से अनासक्ति और उससे उत्पन्न होने वाले मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है। आत्म-ज्ञान के माध्यम से ईश्वर की शरण में जाना ही कर्म के बंधनों से मुक्ति का मार्ग है, जो भक्ति में कर्म करता है, जो पवित्र आत्मा है, जो अपने मन और इन्द्रियों को वश में करता है, ऐसा व्यक्ति कर्म करते हुए भी कभी नहीं बँधता। आत्मज्ञान की खोज कर उसे प्राप्त करना चाहिए यही सच्चा रास्ता है।

यही संदेश श्री हंसजी महाराज जी के 125 वीं जयंती मनाते हुए महात्मा अंबालिका बाई जी ने दिया यह कार्यक्रम सफल करने में मानव सेवा दल, शाखा कार्यकर्ताओं एवं यूथ के बच्चों का विशेष सहयोग रहा।

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